Friday, 16 December 2016
माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला : बचेंद्री पाल
एवरेस्ट की ऊंचाई को छूने वाली दुनिया की 5वीं महिला पर्वतारोही हैं।बछेंद्री पाल का जन्म उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले के एक गाँव नकुरी में सन् 1954 को हुआ। खेतिहर परिवार में जन्मी बछेंद्री ने बी.एड. तक की पढ़ाई पूरी की। मेधावी और प्रतिभाशाली होने के बावजूद उन्हें कोई अच्छा रोज़गार नहीं मिला। जो मिला वह अस्थायी, जूनियर स्तर का था और वेतन भी बहुत कम था। इस से बछेंद्री को निराशा हुई और उन्होंने नौकरी करने के बजाय 'नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग' कोर्स के लिये आवेदन कर दिया। यहाँ से बछेंद्री के जीवन को नई राह मिली। 1982 में एडवांस कैम्प के तौर पर उन्होंने गंगोत्री (6,672 मीटर) और रूदुगैरा (5,819) की चढ़ाई को पूरा किया। इस कैम्प में बछेंद्री को ब्रिगेडियर ज्ञान सिंह ने बतौर इंस्ट्रक्टर पहली नौकरी दी। हालांकि पेशेवर पर्वतारोही का पेशा अपनाने की वजह से उन्हे परिवार और रिश्तेदारों के विरोध का सामना भी करना पड़ा
Thursday, 15 December 2016
कल्पना दास
भारतीय वकील और पर्वतारोही। वह माउंट एवरेस्ट पैमाने पर करने के पहले Odia पर्वतारोही था। वह 21 माउंट एवरेस्ट पर पहुंचा मई 2008, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और नेपाल से पांच सदस्यों की एक टीम के साथ।
वह 2006 में पहले दो बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने की कोशिश की थी, 2004 में एक बार और एक बार, लेकिन असफल खराब मौसम और स्वास्थ्य की स्थिति की वजह से।
भारतीय पर्वतारोहण संस्थान द्वारा रजत पदक से अलंकृत किया गया है. : चंद्रप्रभा ऐटवाल
पिथौरागढ़ के धारचूला क्षेत्र में 24 दिसम्बर 1941 को विश्व प्रसिद्ध पर्वतारोही चन्द्रप्रभा एतवाल का जन्म हुआ. इन्हें ‘माउन्टेन गोट’ के नाम से भी जाना जाता है. साधारण कृषक परिवार में जन्मी चन्द्रप्रभा की प्राथमिक शिक्षा 1954 में छान्गरू (व्यास घाटी) में संपन्न हुई.
1986 में साहसिक कार्यो की विशेष अधिकारी के रूप में उन्हें उत्तरप्रदेश सरकार ने नियुक्ति प्रदान की. अतः अध्यापन कार्य छोड़कर वे विशेषाधिकारी के पद पर कार्य करने लगी और वही से सेवानिवृत हुई. चन्द्रप्रभा एतवाल ने 28 बार हिमालय की दुर्लभ चोटियों पर चढ़ने में सफलता प्राप्त की|
1986 में साहसिक कार्यो की विशेष अधिकारी के रूप में उन्हें उत्तरप्रदेश सरकार ने नियुक्ति प्रदान की. अतः अध्यापन कार्य छोड़कर वे विशेषाधिकारी के पद पर कार्य करने लगी और वही से सेवानिवृत हुई. चन्द्रप्रभा एतवाल ने 28 बार हिमालय की दुर्लभ चोटियों पर चढ़ने में सफलता प्राप्त की|
भारत के पहले सफल एवरेस्ट अभियान :एचपीएस आलुवालिया
20 मई 1965 का दिन भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन बना था जब पहला पूर्ण भारतीय अभियान विश्व की सबसे ऊँची चोटी माउण्ट एवरेस्ट पर पहुँचने में सफल हुआ था। इस अभियान ने भारत को विश्व के कुछ उन गिनती भर देशों के समूह में स्थान दिला दिया था जिन्होंने ऐसा कारनामा किया था। उल्लेखनीय है कि 1965 के इस ऐतिहासिक अभियान से पहले मात्र तीन बार एवरेस्ट पर सफल चढ़ाई हुईं थीं। इस दल का नेतृत्व मनमोहन सिंह कोहली ने किया तथा इस दल में कुल 19 सदस्य थे। हालांकि इसमें से एवरेस्ट पर चढ़ने में मात्र 9 सदस्य ही सफल हुए थे। सबसे पहले 20 मई 1965 को कैप्टन अवतार सिंह चीमा (Captain Avtar.Singh Cheema) और नवांग गोम्बु (Nawang Gombu) एवरेस्ट के शीर्ष पर चढ़ने में सफल हुए थे। इसके बाद सोनम ग्यात्सो (Sonam Gyatso) और सोनम वांग्याल (Sonam Wangyal) 22 मई को, सी.पी. वोहरा (C.P.Vohra) और आंग कामी (Ang Kami) 24 मई को तथा मेजर एच.पी.एस. आहलूवालिया Major HPS Ahluwalia), हरीश रावत (Harish Rawat) और फू दोरजी (Phu Dorji) 29 मई को माउण्ट एवरेस्ट पर पहुँचे थे।
भारतीय महिला पर्वतारोही जो 48 साल की उम्र में एवरेस्ट के शिखर पर पहुंची : प्रेमलता अग्रवाल
एक भारतीय महिला पर्वतारोही हैं, जिन्होने 20 मई, 2011 कों सुबह 9:35 बजे 48 साल की उम्र में 29,029 फुट की ऊंचाई पर पहुँचकर माउंट एवरेस्ट के शिखर कों छूने वाली प्रथम भारतीय महिला होने का गौरव हासिल किया। वहीं 50 वर्ष की उम्र में 23 मई, 2013 को उत्तरी अमेरिका के अलास्का के माउंट मैकेनले को फतह करके उन्होने नई उपलब्धि हासिल की। इस पर्वत शिखर पर चढ़ने वाली वे पहली भारतीय महिला हैं। सातों महाद्वीपों के शिखर पर चढ़ने वाली प्रेमलता एक कुशल गृहिणी हैं। उन्होने ३५ बरस की उम्र के बाद पहली बार पर्वतारोहण से नाता जोड़ा
भारत से राष्ट्रीय स्तर की पूर्व वालीबाल खिलाड़ी तथा माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली भारतीय विकलांग हैं :अरूणिमा सिन्हा
अपराधियों द्वारा चलती ट्रेन से फेंक दिए जाने के कारण एक पैर गंवा चुकने के बावजूद अरूणिमा ने गजब के जीवट का परिचय देते हुए 21 मई 2013 को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (29028 फुट) को फतह कर एक नया इतिहास रचते हुए ऐसा करने वाली पहली विकलांग भारतीय महिला होने का रिकार्ड अपने नाम कर लिया। ट्रेन दुर्घटना से पूर्व उन्होने कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में राज्य की वॉलीबाल और फुटबॉल टीमों में प्रतिनिधित्व किया है।[7]
Tuesday, 13 December 2016
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